रुको, कहाँ जा रहे हो?
क्या ढूंढ पाओगे वो, जिसे तुम खोज रहे हो?
क्या ढूंढ पाओगे उसे बाहर की दुनिया में,
जिसकी तुम्हें तलाश है?

नहीं!
वो तो हर दम तेरे पास है
वो तो सदैव तेरे साथ है
वो हर घड़ी, हर पल में,
तुझमें बसी एक आस है

निहित है वो तुझमें हर क्षण
बस देखने की तुझे तलाश है
तलाश है तुझे पहचानने की,
जिसकी तुझे बस आस है

शांति, खुशी और पहचान ये सब तेरे ही पास है
जितना ढूंढ़ना चाहेगा तू, ये उतनी ही तुझसे नाराज़ है

सबको बताने से पहले स्वयं को तुझे बताना होगा
खोजे जो तू बाहर की दुनिया में,
अंदर अपने ही पाना होगा

रुको! बस एक बात सुनो
कुछ भी खोजने से पूर्व, स्वयं की तुम खोज करो

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