life poem nikita rajpoot
In Frame: Aneri Vajani

बस जीवन को समझने के एक जतन में हूँ
क्यों न बताउंगी?
कुछ क्षणों की मधुरता, कुछ क्षणों की कुटिलता,
और कुछ क्षणों की जटिलता;
आखिर यही तो अवयव है
एक सुलभ, स्पष्ट और अनुरूप जीवन के

अरे! हम अभी तक यही अटके है
जीवन असाध्य नहीं, चाहे दर-दर भटके है

भूल ये नहीं कि हम सदैव प्रयत्नशील रहते हैं
जीवन को सँवारने में,
भूल ये है कि हम जरा भी उद्यम नहीं करते
स्वयं को सुधारने में

ओह!
कदाचित मैंने ये
लोक का सबसे कठिन कृत्य बता दिया
क्यूंकि नादान है हम, समझ नहीं पाते हैं
मूल के बोध की बजाय, शाखाओं पर अक्षीण जोर लगाते हैं

जीवन स्वत: बदल जाएगा अगर स्वयं को जान लिया
ये स्नेह, ये द्वेष; ये कुछ थोड़ी है
जो इन्हें ही सब कुछ मान लिया
झांको निज व्यक्तित्व में; जरा ध्यान से झांको
जीवन संकट में ही बस बंधने को
थोड़ी इस जग में प्राण लिया

2 Comments

  1. Monidipa Dutta April 2, 2023 at 9:58 pm - Reply

    Well written

  2. […] Read More […]

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