कम ना आंकना अपने विचारों को,
दर्पण-सा इनका स्वभाव है

विश्लेषण करे ये स्वभाव व अवस्था,
यही पात्र-ए-स्वाभिमान है

क्षण में ये अर्श पर बैठा दे,
क्षण में फर्श पर गतिमान है

वेग हो जब क्रोध और भय का,
यही पल भर का अभिमान है

मन में उठे ये बवंडर की भांति,
बुराई में ख़ुशियों का श्मशान है

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