Ofजब शोर हो मन में,
चहुँ ओर शांति नजर आती है
जब हो मन में शांति,
जग की कोलाहल सुनाई देती है
विरोधाभास ये मन का,
मनोदशा पर आधारित है
मगर एकाग्रता एक सभ्य चित्त की,
हर स्थिति पर भारी है
हँसता हो इंसान कोई,
व्यथा अन्य जन की दिखाई देती है
रोये जब वो दु:ख सागर से,
शेष जग में खुशी नजर आती है
विलग स्वयं को संसार से,
करने में कोई लाभ नहीं
सन्तुलन कठिनाई और हल का,
प्रकृति की जिम्मेदारी है