एक सपना है मेरा
एक सपनों की दुनिया मैं भी बनाऊ
मिलूं न ढूंढे से भी किसी को
उसमे मैं इतनी खो जाऊ
मगर वो कहते हैं, “सपने कहाँ सच होते है”!
होते हैं, पर उन पर अपने कहाँ हक होते हैं !
ऐसी प्रचलित; शायद, सच्ची बातो को
मैं मिथ्या सिद्ध कर पाऊ
एक सपना है मेरा
एक सपनों की दुनिया मैं भी बनाऊ

रोज-रोज के क्षोभ को एक दिन
एक दिन तो विराम लगे
मन कहे, मुझे आराम है
आत्मा को भी चैन मिले
भाग दौड़ के जीवन को
कोलाहल के बिगुल को
मैं अनदेखा, अनसुना कर जाऊ
एक सपना है मेरा
एक सपनों की दुनिया मैं भी बनाऊ

इधर भी आंधी उधर भी आंधी
मध्य तो तूफ़ान ही है
कोई तो छोर होगा इस जग का
जहाँ भटके को विश्राम भी है
ऐसी एक ठौर ढूंढ कर
मैं वहीं कहीं पर बस जाऊ
एक सपना है मेरा
एक सपनों की दुनिया मैं भी बनाऊ

8 Comments

  1. Monidipa April 28, 2023 at 9:09 am - Reply

    Beautiful

  2. Himanshi Kothari April 28, 2023 at 9:16 am - Reply

    ❤💖

  3. Poonam Kumari Jha April 28, 2023 at 10:00 am - Reply

    Well done keep it up

  4. pradeep April 28, 2023 at 5:55 pm - Reply

    keep it up

  5. Disha Dave June 5, 2023 at 7:09 pm - Reply

    This poem express my emotions smoothly ✨✨

  6. Unboxing Perspectives June 6, 2023 at 6:31 pm - Reply

    Wow.. so true.. i think we all can connect to it..

  7. Disha Dave June 8, 2023 at 12:38 pm - Reply

    This is beautiful ❤️

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