पुरुष का प्रेम
आसान नहीं है पुरुष के प्रेम को समझनावो तुम्हें बहुत
आसान नहीं है पुरुष के प्रेम को समझनावो तुम्हें बहुत
I'm writing a poemUnder the StarsIn a cozy warm blanketWith
in frame: Devyani Chandra Jha एक सपना है
मेरे अकथ, अव्यक्त भावो ने
कम ना आंकना अपने विचारों को
रुको, कहाँ जा रहे हो?
She cares for everyone
Be my Poem
जब शोर हो मन में
हर रोज पढ़ने की सोचती हूँ